मंटू प्रामाणिक: सम्मान का हकदार, मानवता का सच्चा सेवक
मंटू प्रामाणिक: सम्मान का हकदार, मानवता का सच्चा सेवक
चांडिल प्रखंड के घोरानेगी में, जहां उनके पूर्वजों का संबंध छोटालापंग से था, मंटू प्रामाणिक का जीवन किसी सामान्य व्यक्ति की तरह शुरू नहीं हुआ था. 11वीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद, गरीबी की भीषण मार ने उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने से रोक दिया. परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी कंधों पर आ गई और जीवन को पटरी पर लाने के लिए उन्होंने पहले सहारा एजेंसी में काम करना शुरू किया. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. इस कार्य के बाद मंटू को नौ साल के लंबे और निराशाजनक बेरोजगारी के दौर से गुजरना पड़ा. यह वह समय था जब जीवन की हर उम्मीद धुंधली पड़ चुकी थी, और अंततः एक छोटी सी कपड़े की दुकान ने उन्हें आर्थिक रूप से थोड़ा सहारा दिया.
मगर मंटू प्रामाणिक की कहानी सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी. उनके अंदर कुछ बड़ा करने की ज्वाला धधक रही थी. सोशल मीडिया पर गुरुचरण साहू जी के प्रेरणादायक विचारों और कार्यों ने उनके जीवन को एक अप्रत्याशित मोड़ दिया. गुरुचरण जी से मिली प्रेरणा ने उन्हें समाज सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. यह एक ऐसा रास्ता था जिस पर चलकर उन्होंने सैकड़ों असहाय और जरूरतमंद जिंदगियों में आशा और रोशनी भरने का बीड़ा उठाया. बिना किसी राजनीतिक समर्थन या बड़े मंच के, मंटू ने अपनी अदम्य मेहनत, दृढ़ संकल्प और सच्ची लगन के दम पर 600 से अधिक लोगों की सहायता की.
उन्होंने उन लोगों की मदद की जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने सैकड़ों परिवारों को राशन कार्ड दिलवाने में सहायता की, जिससे उन्हें मूलभूत खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके. वृद्धों और विधवाओं को पेंशन दिलवाने में उनकी भूमिका अतुलनीय रही, जिससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल पाई. दिव्यांगों और जरूरतमंदों को साइकिल और ट्राई-साइकिल उपलब्ध कराने में भी उन्होंने अथक प्रयास किए, जिससे उनकी गतिशीलता बढ़ी. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्होंने कई महिलाओं को सिलाई मशीन दिलवाई, जिससे वे स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें.
मंटू प्रामाणिक का सेवाभाव केवल इन्हीं तक सीमित नहीं था. गंभीर से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के इलाज के लिए भी उन्होंने दिन-रात एक कर दिया. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया कि किसी भी गरीब या असहाय व्यक्ति को इलाज के अभाव में अपनी जान न गंवानी पड़े. उनकी सबसे बड़ी पहचान और सेवा का अद्वितीय उदाहरण सड़क दुर्घटना के शिकार परिवारों को कम खर्च में न्याय दिलाने के प्रयासों से बनी. उन्होंने ऐसे परिवारों को कानूनी सहायता और मुआवजे के लिए मार्गदर्शन दिया, जिससे उन्हें इस त्रासदी से उबरने में मदद मिली. उनकी निस्वार्थ सेवा केवल झारखंड राज्य तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने बिहार, बंगाल और ओडिशा के लोगों को भी इलाज और अन्य सहायता प्रदान कर एक विशाल सेवा नेटवर्क स्थापित किया.
मंटू प्रामाणिक के इन निःस्वार्थ कार्यों को समाज में सराहा गया और उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया. ये सम्मान इस बात का प्रमाण हैं कि सच्ची सेवा के लिए किसी बड़े राजनीतिक मंच या धन-दौलत की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि एक निस्वार्थ भावना, अदम्य इच्छाशक्ति और दूसरों के प्रति गहरी संवेदना ही पर्याप्त होती है. उनके इस पूरे प्रेरणादायक सफर में, उन्हें डॉ. अनुज ठाकुर और डॉ. विकास जी का पूर्ण समर्थन और सहयोग हमेशा प्राप्त हुआ, जिन्होंने मंटू के कार्यों को और भी मजबूती प्रदान की.
मंटू प्रामाणिक की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न आएं, एक व्यक्ति अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और सच्ची लगन से दूसरों के लिए आशा का प्रतीक बन सकता है. उनकी जीवन गाथा लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति भी असाधारण कार्य कर सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है.
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