Youth Artist untold Story

जब रंग बने खिलौने: सौरभ की कला के प्रति बचपन का जुनून चैनपुर की शांत गलियों से निकलकर, सौरभ प्रामाणिक नामक एक युवा कलाकार अपनी कूची से सपनों की दुनिया रच रहा है। चांडिल प्रखंड के चैनपुर नामक छोटे से गाँव में जन्मे सौरभ की रंगों से दोस्ती बचपन से ही अटूट रही है। उनके पिता, किरिटि प्रामाणिक, जिन्हें प्यार से बिल्लू कहा जाता है और जो स्वयं एक कुशल चित्रकार हैं, ने अनजाने में ही अपने बेटे के भीतर कला के उस बीज को अंकुरित कर दिया था जो अब एक विशाल वृक्ष बनने की ओर अग्रसर है। बचपन के दिनों में, जब अन्य बच्चे रंगीन खिलौनों की दुनिया में खोए रहते थे, सौरभ के लिए रंग ही उनके सबसे प्रिय साथी थे। प्रकृति के प्रति उनका गहरा आकर्षण उन्हें सहज ही नैसर्गिक दृश्यों की ओर खींच लेता था। वे घंटों पेड़ों की पत्तियों के हरे रंग, नदियों के निर्मल नीलेपन और आकाश के बदलते हुए अनगिनत रंगों को निहारते रहते थे। उनकी युवा आँखें इन दृश्यों को सोख लेती थीं, और उनका मन उन्हें अपनी कल्पना के कैनवास पर उतारने के लिए बेचैन रहता था। प्रकृति उनकी पहली पाठशाला थी, जहाँ उन्होंने रंगों के अनगिनत रूपों और उनके सूक्ष्म...